कहानी अब तक:
31 दिसंबर की रात, दिल्ली से शिमला जा रही लग्ज़री शिमला एक्सप्रेस "टिंबर ट्रेल सुरंग" में दाखिल होकर रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाती है। 134 यात्री लापता हो जाते हैं। सरकार जांच के लिए तेज दिमाग वाले जासूस अयान तिवारी को नियुक्त करती है। अयान को सुरंग में प्राचीन लिपियों, रहस्यमयी दरवाज़े और गुप्त सुरंग का पता चलता है जहाँ खाली ट्रेन बोगियाँ मिलती हैं। यात्रियों का कोई सुराग नहीं होता, लेकिन अयान को एक अनजानी आवाज़ सुनाई देती है—“तुम बहुत दूर आ गए हो...”। क्या यह विज्ञान से परे कोई रहस्य है? कहानी गहराती जाती है।
अब आगे:
अध्याय 3: छाया का नाम
स्थान: गुप्त रेलवे हॉल, सुरंग के भीतर
समय: रात 3:05 बजे
अयान तिवारी उस हॉल के बीचोंबीच खड़ा था—जहाँ शिमला एक्सप्रेस की सारी बोगियाँ पंक्तिबद्ध खड़ी थीं, लेकिन एक भी इंसान मौजूद नहीं था। बस हवा में एक ठंडी, रहस्यमयी खामोशी तैर रही थी।
“तुम बहुत दूर आ गए हो... अयान तिवारी।”
वो रहस्यमयी आवाज़ अब धीमी होते हुए शांत हो गई।
अयान ने तुरंत अपने जैकेट से माइक्रो ऑडियो रिकॉर्डर निकाला और अंतिम कुछ सेकंड्स रीप्ले किए।
आवाज़ डिस्टॉर्टेड थी, पर एकदम असली।
“ये कोई प्री-रिकॉर्डेड मैसेज नहीं हो सकता,” अयान बुदबुदाया,
“किसी को पता था कि मैं यहां आऊंगा... और मुझे पहचानता भी है।”
जांच जारी...
अयान ने हर बोगी को बारी-बारी से खंगाला। चौथी बोगी के अंदर उसे कुछ अजीब मिला—
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एक पॉकेट साइज़ डायरी, जिस पर सिर्फ तीन अक्षर लिखे थे — “KRA”
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एक छोटा सा की-कार्ड, RFID कोड वाला
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और एक पुराना अख़बार, जिसमें एक हेडलाइन थी:
“AI वैज्ञानिक डॉ. करन अग्रवाल का रहस्यमयी निधन”
अयान चौक गया। डॉ. करन अग्रवाल... वही नाम जो 2012 में एक एक्सपेरिमेंटल ट्रेन ट्रैक प्रोजेक्ट का हिस्सा था, जिसे सरकार ने “जोखिम भरा” कह कर बंद करवा दिया था।
“क्या यह सब उस अधूरे प्रोजेक्ट से जुड़ा है?” अयान ने सोचा।
दृश्य बदलता है:
स्थान: एक अज्ञात लैब, जमीन के नीचे
समय: उसी वक्त
एक काले सूट में व्यक्ति, जिसके चेहरे पर गहरी दाढ़ी और आंखों में शातिर चमक थी, एक स्क्रीन पर अयान को देख रहा था।
“वो पहुंच गया... ठीक समय पर,”
उसके पास खड़ा सहायक बोला।
“वो मेरा शिष्य था... अब मेरे रास्ते में है,
”उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
उसके पीछे स्क्रीन पर लिखा था—
"KRA Initiative – Phase 2 Begins"
लौटते हैं सुरंग में:
अयान को अचानक हल्की-सी आवाज़ सुनाई दी—जैसे किसी ने ज़मीन पर कुछ गिराया हो।
वो तुरंत अपनी रिवॉल्वर निकालता है, आवाज़ की दिशा में चलता है और देखता है...
एक बच्चा! लगभग 10 साल का। कांपता हुआ।
“तुम यहां कैसे आए?
”अयान ने घुटनों के बल बैठते हुए पूछा।
बच्चे ने डरते-डरते जवाब दिया—
“मैं... मैं ट्रेन में था... मम्मी-पापा मेरे साथ थे... फिर सब लोग... अचानक ग़ायब हो गए।”
“तुम अकेले कैसे बचे?”
“मैं टॉयलेट में था... जब बाहर आया तो ट्रेन खाली थी... और आवाज़ें आ रही थीं, जैसे कोई कुछ इंजेक्ट कर रहा हो... फिर मैं छिप गया।”
अयान के कान खड़े हो गए।
“इंजेक्ट...? यानी यात्रियों को बेहोश किया गया...? या... किसी और चीज़ के लिए प्रयोग किया गया?”
बच्चा रोने लगा।
“मुझे मेरी मम्मी चाहिए...”
अयान ने उसे दिलासा दिया, और उसकी जैकेट में लिपटा कर अपने साथ रखने का निर्णय लिया।
उस रात अयान ने एक बात तय कर ली—
“अब ये सिर्फ एक केस नहीं रहा। ये एक जंग है—सच और साइंस के नाम पर किए जा रहे पागलपन के बीच।”
सामने आती हैं कुछ नई बातें:
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KRA क्या है?
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अयान का अतीत कैसे जुड़ा है इस केस से?
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डॉ. करन अग्रवाल की मौत—क्या वह हत्या थी?
अयान ने बच्चे से वादा किया—
“मैं तुम्हें तुम्हारे मम्मी-पापा से मिलाऊंगा। और उन सबको भी बचाऊंगा... जो ग़ायब कर दिए गए हैं।”
अध्याय 3 समाप्त।
अध्याय 4: KRA की फाइलें
स्थान: दिल्ली, खुफिया मुख्यालय
समय: सुबह 11:00 बजे
अयान तिवारी शिमला से सीधे दिल्ली लौट आया था। उसके साथ था वह बच्चा—“आरव”—जो शिमला एक्सप्रेस से जिंदा मिला था। उसे एक सुरक्षात्मक गेस्ट हाउस में रखा गया, और मेडिकल परीक्षण के लिए एक स्पेशल टीम बुलाई गई।
अयान अब खुफिया एजेंसी के मुख्यालय में था, जहाँ उसे KRA प्रोजेक्ट से जुड़ी गोपनीय फाइलें देखने की अनुमति मिली।
KRA: क्या है ये प्रोजेक्ट?
KRA = Kinetic Railway Acceleration Project
एक प्रयोगात्मक वैज्ञानिक योजना, जिसे 2010 में शुरू किया गया था।
उद्देश्य: “Quantum Space Manipulation के जरिए ट्रेनों को ‘मल्टी-डायमेंशनल ट्रांजिट’ के ज़रिए तीव्र गति से गंतव्य तक पहुंचाना।”
सरल शब्दों में कहें, तो—
"रेल को समय और स्थान की सीमाओं से ऊपर उठाकर, एक आयाम से दूसरे आयाम में पहुंचाना।"
परंतु 2012 में इस प्रोजेक्ट को अचानक बंद कर दिया गया था, जब एक टेस्ट ट्रेन और उसमें बैठे वैज्ञानिक रहस्यमयी ढंग से लापता हो गए।
और उस प्रयोग का नेतृत्व कर रहे थे—डॉ. करन अग्रवाल।
अयान के दिमाग में कौंधा:
“अगर ये वही तकनीक है, तो इसका इस्तेमाल शिमला एक्सप्रेस पर क्यों किया गया? और किसने किया?”
फाइलों के बीच एक और नाम सामने आया—डॉ. रूद्र वर्मा, करन अग्रवाल के सह-वैज्ञानिक, जिन्हें 2013 में “मानसिक असंतुलन” कहकर रिटायर कर दिया गया था।
और हैरानी की बात—उसका आखिरी पता था कालका, वही जगह जहाँ ट्रेन गायब हुई थी।
स्थान: कालका, एक परित्यक्त बंगला
समय: शाम 4:15 बजे
अयान ने बिना समय गंवाए कालका में उस पते की खोज शुरू की। उसे एक पुराना, धूल-भरा बंगला मिला। जालों से भरा हुआ, खिड़कियाँ टूटीं, और दरवाज़ा अंदर से बंद।
एक खुफिया टीम की मदद से अयान ने दरवाज़ा तोड़ा। अंदर घुसते ही दीवारों पर उसने अजीबोगरीब रेखाचित्र देखे—आयामों की व्याख्या, अंतरिक्ष में चलती ट्रेनों की स्केच, और इंसानों को शून्य में बदलते हुए दर्शाने वाले चित्र।
एक मेज पर पड़ी डायरी में लिखा था:
“करन ने उन्हें बचाने की कोशिश की... पर वो फेल हो गया।
अब मुझे उन्हें लाना है... लेकिन इस बार, कोई नहीं बचेगा।”और उसी डायरी के आखिरी पन्ने पर अयान को दिखा एक नाम—
“Project Yatra 2.0 – Commences on 10th January.”
आज 4 जनवरी थी।
मतलब, अगले 6 दिनों में एक और ट्रेन गायब होने वाली थी!
इसी बीच दिल्ली में...
आरव नाम के उस बच्चे की मेडिकल रिपोर्ट आई—उसके शरीर में कोई ड्रग्स नहीं थे, पर उसका डीएनए सेल संरचना तेजी से बदल रही थी।
“यह सामान्य नहीं है,” डॉक्टर ने कहा,
“उसके शरीर में कुछ ऐसा हुआ है, जो विज्ञान के वर्तमान नियमों के खिलाफ है।”
अयान को शक हुआ कि क्या यात्रियों को किसी तरह के जैविक प्रयोग का हिस्सा बनाया गया था?
दृश्य बदलता है:
स्थान: अज्ञात प्रयोगशाला
समय: रात 9:30 बजे
वहीं रहस्यमयी व्यक्ति, जो पहले भी देखा गया था, अब एक नए नक्शे के सामने खड़ा था।
उसके पीछे स्क्रीन पर ट्रेन का नाम चमक रहा था—
“Himalayan Night Express – Departure: 10th Jan – Target Confirmed.”
उसने कहा:
“पहली ट्रेन सफल थी। अगली ट्रेन में फेज़ 2 शुरू होगा। और इस बार... कोई लौटेगा नहीं।”
लौटते हैं दिल्ली में:
अयान ने अब सब कुछ साफ़-साफ़ देखा—
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गायब ट्रेनें
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वैज्ञानिक प्रयोग
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आयाम परिवर्तन
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और अब एक खतरनाक “यात्रा 2.0”
अब उसके पास सिर्फ 6 दिन थे...
एक ट्रेन को बचाने, और KRA प्रोजेक्ट के पीछे छिपे उस शैतानी दिमाग को बेनकाब करने।
अध्याय 4 समाप्त।
अब क्या अयान डॉ. रूद्र वर्मा को पकड़ पाएगा?
क्या अगली ट्रेन को समय पर रोका जा सकेगा?
और “Project Yatra 2.0” के पीछे असली मकसद क्या है?
आगे क्या होने वाला है, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
अस्वीकरण (Disclaimer) – "लापता ट्रेन"
"आख़िरी पन्ना" एक काल्पनिक उपन्यास है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ और स्थान लेखक की कल्पना मात्र हैं। यदि किसी जीवित या मृत व्यक्ति, संस्था, स्थान या घटना से कोई समानता मिलती है, तो वह मात्र संयोग माना जाए। इस उपन्यास का उद्देश्य केवल मनोरंजन प्रदान करना है। इसमें व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं और इनका किसी भी वास्तविक व्यक्ति, समुदाय या संस्था से कोई संबंध नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल एक रचनात्मक कल्पना के रूप में पढ़ें।
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