कहानी अब तक:
31 दिसंबर की रात, शिमला एक्सप्रेस "टिंबर ट्रेल सुरंग" में रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाती है। 134 यात्री लापता हो जाते हैं। जासूस अयान तिवारी को जांच सौंपी जाती है। सुरंग में उसे खाली बोगियाँ, एक बच्चा, और “KRA” नामक प्रोजेक्ट के सुराग मिलते हैं, जो मल्टी-डायमेंशनल ट्रांजिट से जुड़ा है। बच्चा बताता है कि यात्रियों पर जैविक प्रयोग हुए। वैज्ञानिक डॉ. करन अग्रवाल की मौत और डॉ. रूद्र वर्मा की गुप्त गतिविधियाँ सामने आती हैं। “Project Yatra 2.0” नामक अगली खतरनाक योजना 10 जनवरी को शुरू होने वाली है। अब अयान के पास सच्चाई उजागर करने के लिए सिर्फ 6 दिन हैं।
अब आगे:
अध्याय 5: शून्य की आँखें
स्थान: शिमला से 40 किमी दूर, बर्फ से ढकी एक सुनसान घाटी
समय: 5 जनवरी, सुबह 5:45 बजे
सूरज की पहली किरणें बर्फ पर पड़ रही थीं, लेकिन अयान का मन अब भी रात की स्याही से भरा था। उसके सामने था एक GPS सिग्नल, जो एक बेहद ख़ास लोकेशन की ओर इशारा कर रहा था—"Zone Zero"।
यह वही जगह थी जहाँ से “Project Yatra” की असली शुरुआत हुई थी। एक सुनसान रेलवे यार्ड, जहाँ से कोई ट्रेन 10 सालों से नहीं गुज़री।
दृश्य बदलता है:
स्थान: Zone Zero
समय: सुबह 6:30 बजे
चारों तरफ धुंध फैली हुई थी। एक पुराना कंट्रोल रूम, जंग लगे संकेत, और एक साइलेंस जो अयान को बेचैन कर रही थी।
जैसे ही उसने कंट्रोल रूम का दरवाज़ा खोला, भीतर एक पुरानी मशीन चालू थी—बिना किसी बिजली के स्रोत के।
उस पर एक कोड चल रहा था: “KRA-Δ3 – Phase Initialized”
फिर अचानक, एक प्रोजेक्शन सामने उभरा—एक होलोग्राम, जिसमें वही शख्स था।
“बहुत समय बाद, अयान,”
“क्या तुम अब भी सोचते हो कि विज्ञान बस उपकरणों की बात है? नहीं... विज्ञान अब नियति को चुनौती दे रहा है।”
अयान ने फौरन पहचान लिया—डॉ. रूद्र वर्मा।
🔍 डॉ. रूद्र वर्मा कौन है?
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करन अग्रवाल का साथी वैज्ञानिक
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KRA प्रोजेक्ट का गुप्त आर्किटेक्ट
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2013 में लापता घोषित
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अब “Zone Zero” में छिपकर KRA को अकेले चला रहा है
संवाद: अयान vs. वर्मा (होलोग्राम)
अयान:
“तुमने सैकड़ों लोगों को गायब कर दिया! तुम कौन होते हो फैसला करने वाले कि कौन जिए और कौन नहीं?”
रूद्र (हँसते हुए):
“मैं वही हूँ जो वक़्त से आगे सोचता है। ये लोग अब ‘आयाम यात्रा’ का हिस्सा हैं। वे मरें नहीं हैं, वे अब... बदल गए हैं।”
अयान:
“ये पागलपन है।”
रूद्र:
“ये भविष्य है। Project Yatra 2.0 में अगली ट्रेन नहीं रुकेगी... वो एक डायमेंशनल ब्रिज बनाएगी। और तुम्हें क्या लगता है, मैं अकेला हूँ?”
एक धमाका...
कंट्रोल रूम की ज़मीन हिलने लगी। एक दीवार खुली और उसमें से निकलती है एक बोगी जैसी संरचना—शायद एक प्रोटोटाइप ट्रेन, जो असली एक्सप्रेस का मॉडल है।
उसमें रखा था एक क्रायो-चेंबर। और अंदर... एक इंसान।
अयान ने शीशा साफ़ किया।
वो था – डॉ. करन अग्रवाल! ज़िंदा। लेकिन गहरी नींद में।
इस रहस्य का नया मोड़:
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करन को मरा हुआ घोषित किया गया था
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लेकिन वह क्रायोजेनिक स्लीप में रखा गया
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क्या करन ही वह है जो इस सबको रोक सकता है?
अयान के पास अब एक मात्र रास्ता था—करन को जगानाऔर उससे सच्चाई जानना।
उसी वक्त, दिल्ली में...
आरव नाम के उस बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ने लगती है। उसके शरीर में तेज़ कम्पन, आंखों से नीली रौशनी निकलती है। डॉक्टर घबरा जाते हैं।
“उसके अंदर... कोई और चेतना जाग रही है,”
डॉक्टर बुदबुदाता है।
क्या आरव अब इंसान नहीं रहा?
लौटते हैं शून्य जोन में:
अयान ने करन का क्रायो-चेंबर ट्रक में रखा और दिल्ली वापसी की तैयारी की। लेकिन तभी एक ड्रोन हमला होता है।
गोलियों की बारिश... एक विस्फोट...
और एक आवाज़ आती है—
“Phase 2 शुरू हो चुका है। अब न कोई ट्रेन रुकेगी, न कोई इंसान बचेगा।”
अध्याय 5 समाप्त।
क्या अयान डॉ. करन को समय पर जगा पाएगा?
क्या आरव सच में इंसानी बच्चे से आगे कुछ और बन चुका है?
और Project Yatra 2.0 का असली उद्देश्य क्या है—यात्रा या विनाश?
अध्याय 6: समय के पार
स्थान: दिल्ली, गुप्त चिकित्सा प्रयोगशाला
समय: 6 जनवरी, सुबह 9:20 बजे
डॉ. करन अग्रवाल अब भी क्रायो-चेंबर में थे। शरीर स्थिर, लेकिन मस्तिष्क में न्यूरॉन एक्टिविटी बढ़ती जा रही थी। अयान की निगाहें उनकी EEG रिपोर्ट पर थीं।
“क्या ये जागने की शुरुआत है?”
डॉक्टर बोस ने धीमे स्वर में पूछा।
अयान:
“हमें कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहिए। जैसे ही वो जागें, हमें उनसे सिर्फ एक ही बात पूछनी है—‘Project Yatra’ का असली उद्देश्य क्या है?”
इसी बीच – आरव का बदलता शरीर
दूसरी ओर, आरव की हालत और रहस्यमयी होती जा रही थी। उसकी आँखों की पुतलियाँ अब पूरी नीली हो चुकी थीं। MRI रिपोर्ट ने चौंकाया—उसके दिमाग में एक अतिरिक्त न्यूरल वेव एक्टिवेट हो चुकी थी, जो सामान्य मानव मस्तिष्क में नहीं पाई जाती।
“यह मस्तिष्क अब मानवीय सीमा से बाहर कार्य कर रहा है,”
डॉक्टर बोस बोले।
अयान को शक हुआ—क्या आरव अब एक पोर्टल बन चुका है?
⏳ टाइम डिस्टॉर्शन
डॉ. करन अचानक झटके से होश में आ जाते हैं। ऑक्सीजन मास्क हटाकर पहली बात कहते हैं—
“तुम्हें उन्हें वापस लाना है... अभी।”
अयान:
“किसे?”
करन:
“शिमला एक्सप्रेस के यात्री... वे मरे नहीं हैं, वे एक क्वांटम लूप में फँसे हैं। एक टाइम-स्टैग्ड आयाम में। वहाँ समय नहीं चलता, लेकिन चेतना जागृत रहती है।”
🧪 KRA तकनीक की असलियत
करन बताते हैं—
“KRA कोई परिवहन तकनीक नहीं थी, वो एक टाइम-जंप कैप्सूल थी।
ट्रेन को एक सीमित समय के लिए एक ‘वैक्यूम टाइम-डोमेन’ में भेजा जाता था।
वहां शरीर स्थिर रहता है, लेकिन मस्तिष्क दूसरे समय के साथ संवाद करता है।”
“मगर रूद्र ने इस टेक्नोलॉजी को बदल डाला—अब वह इंसानों को समय की प्रयोगशाला बना रहा है। हर इंसान उस लूप में जाकर डिजिटल कॉन्शियसनेस में बदलता जा रहा है।”
अब एकमात्र रास्ता था — आयाम में प्रवेश करना।
अयान ने आरव की निगरानी शुरू की। EEG स्कैन में दिखा कि जब वह सोता है, तो उसके मस्तिष्क से Q-बीट्स (Quantum Beats) निकलती हैं। वे एक विशेष पैटर्न में कंपन करती हैं—और वही पैटर्न KRA प्रोटोटाइप ट्रेन में पहले दर्ज किया गया था।
मतलब—आरव अब एक “Beacon” बन चुका है।
“अगर मैं इस बीकन से लिंक होकर खुद को ट्रेन के क्वांटम-लूप में भेजूं... तो मैं बाकी लोगों को देख सकता हूँ।”
अयान ने फैसला लिया।
🚇 क्वांटम प्रवेश – एक यात्रा समय से परे
विशेष सूट पहनकर अयान को एक क्यूबिकल पॉड में बैठाया गया। आरव को दूसरी ओर जोड़ा गया, और जैसे ही बीटा-वेव्स सिंक हुईं...
क्वांटम डिस्टॉर्शन शुरू हुआ।
चारों ओर रौशनी, कंपन, और फिर... ख़ामोशी।
🌌 दूसरी ओर...
अयान ने खुद को एक बर्फीले, धुंध से भरे मैदान में पाया। वहाँ सामने थी—शिमला एक्सप्रेस। पूरी की पूरी ट्रेन।
लेकिन उसके आसपास हवा नहीं थी। पेड़ स्थिर थे। यात्रियों के चेहरे मुस्कुरा रहे थे, मगर आँखें जम चुकी थीं। जैसे समय रुक गया हो।
अयान ट्रेन में चढ़ा। हर यात्री सीट पर बैठा था—अचेत, लेकिन ज़िंदा। समय ने उन्हें पकड़ रखा था।
तभी... एक दरवाज़ा खुला।
वहां खड़ा था—रूद्र वर्मा। खुद उसी आयाम में।
संवाद:
अयान:
“तुम यहीं क्यों हो?”
रूद्र:
“ये मेरा प्रयोग है। और अब तुम भी इसका हिस्सा हो।”
अयान:
“मैं सबको बाहर ले जाऊंगा।”
रूद्र (हँसते हुए):
“वक़्त की कैद से कोई नहीं निकलता... जब तक कि वो खुद समय न बन जाए।”
💥 एक विस्फोट... और वापसी
अयान ने रूद्र को रोकने के लिए ट्रेन की एनर्जी को रिवर्स सिंक किया।
क्यूबिकल पॉड्स में बैठे वैज्ञानिकों ने बाहर समय को स्थिर कर दिया।
और अगले ही पल—
एक ज़ोरदार झटका और ट्रेन की सभी सीटें खाली हो गईं।
दिल्ली में...
शिमला एक्सप्रेस के 182 यात्री अचानक एक बेसमेंट हॉल में दिखाई दिए—सभी होश में, मगर उलझन में।
अयान वापस था—आरव की आंखों से रिसती रौशनी धीरे-धीरे कम हो रही थी।
लेकिन...
रूद्र वर्मा उस लूप से गायब हो चुका था।
अध्याय 6 समाप्त।
अब अयान जान चुका है कि खेल सिर्फ विज्ञान का नहीं, चेतना और समय का है।
आगे क्या होगा?
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रूद्र कहाँ गया?
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अगली ट्रेन—“Himalayan Night Express”—को कैसे बचाया जाएगा?
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और आरव... क्या अब वो इंसान रहा?
आगे क्या होने वाला है, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
अस्वीकरण (Disclaimer) – "लापता ट्रेन"
"आख़िरी पन्ना" एक काल्पनिक उपन्यास है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ और स्थान लेखक की कल्पना मात्र हैं। यदि किसी जीवित या मृत व्यक्ति, संस्था, स्थान या घटना से कोई समानता मिलती है, तो वह मात्र संयोग माना जाए। इस उपन्यास का उद्देश्य केवल मनोरंजन प्रदान करना है। इसमें व्यक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं और इनका किसी भी वास्तविक व्यक्ति, समुदाय या संस्था से कोई संबंध नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल एक रचनात्मक कल्पना के रूप में पढ़ें।
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