दशरथ थे निसंतान फिर कैसे शांता रामजी की बहन का नाम? – जानिए श्रवण कुमार और शांता की कथा
श्रीराम की बहन शांता: दशरथ के निसंतान होने के बावजूद कैसे हुई पुत्री? जानिए श्रवण कुमार की कथा से जुड़ी रोचक बातें
प्रस्तावना:
श्रीराम की कथा में यदि कोई नाम बहुत कम सुना जाता है, तो वह है – शांता। शांता को श्रीराम की बहन कहा गया है, परंतु एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि राजा दशरथ तो वर्षों तक निसंतान थे, फिर शांता कैसे उनकी पुत्री बन गई? कहीं शांता का संबंध श्रवण कुमार की कथा से तो नहीं? आइए, इस रहस्य को समझते हैं और श्रवण कुमार की कथा से इस कड़ी को जोड़ते हैं।
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शांता कौन थीं?
वाल्मीकि रामायण में शांता का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन अन्य पुराणों जैसे अंशानुशासन पर्व (महाभारत), रामचरितमानस, और कुछ स्थानीय लोक कथाओं में शांता का वर्णन मिलता है।
शांता को राजा दशरथ और महारानी कौशल्या की कन्या बताया गया है, जिसे बचपन में ही मित्र राजा रोमपद को गोद दे दिया गया था। रोमपद और उनकी पत्नी वरषिणी (कौशल्या की सखी) को कोई संतान नहीं थी, इसलिए दशरथ ने मानवीय करुणा और मित्रता में आकर शांता को उन्हें दे दिया।
शांता और ऋष्यशृंग का विवाह
राजा रोमपद के राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। तब उन्हें सलाह दी गई कि यदि ऋष्यशृंग ऋषि उनके राज्य में पदार्पण करें, तो इंद्र देव प्रसन्न होंगे और वर्षा होगी। ऋष्यशृंग एक ब्रह्मचारी ऋषि थे, जिन्हें स्त्री का चेहरा तक नहीं दिखाया गया था।
राजा रोमपद ने शांता को एक योजना के तहत ऋष्यशृंग के पास भेजा, और दोनों का विवाह संपन्न हुआ। यह विवाह धर्म, कर्तव्य और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक बन गया।
बाद में, ऋष्यशृंग को अयोध्या बुलाया गया और उन्होंने राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ का अनुष्ठान कराया, जिसके फलस्वरूप श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
क्या शांता श्रवण कुमार की बहन थीं?
कुछ लोक मान्यताओं के अनुसार शांता को श्रवण कुमार की बहन भी कहा गया है, लेकिन शास्त्रीय प्रमाण इसके पक्ष में स्पष्ट नहीं हैं। श्रवण कुमार की कथा, जिसमें वे अपने अंधे माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाते हैं, अधिकतर धर्म, सेवा और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
यह कथा बताती है कि दशरथ से गलती से श्रवण कुमार की मृत्यु हो जाती है, जिससे श्राप के कारण दशरथ का वियोग श्रीराम से होता है।
शांता का श्रवण कुमार से संबंध कुछ लोककथाओं का विषय हो सकता है, किंतु इसे पौराणिक प्रमाण नहीं मिला है। यह संभव है कि शांता की सौम्यता और तपस्विनी जीवन शैली ने लोगों को उसे श्रवण जैसे सेवा भाव वाले पात्र से जोड़ने को प्रेरित किया हो।
निष्कर्ष:
शांता वास्तव में राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, जिसे गोद देकर मित्र धर्म निभाया गया। श्रवण कुमार की कथा दशरथ के जीवन की सबसे भावुक घटनाओं में से एक थी।
यह कल्पना कि शांता, श्रवण की बहन थीं – एक लोकभक्ति या कथात्मक समन्वय हो सकती है, परंतु पौराणिक दृष्टिकोण से यह स्वीकार्य नहीं है।
आपका क्या मानना है?
क्या आपको लगता है कि शांता श्रवण कुमार की बहन थीं? क्या यह एक सामाजिक कल्पना है या कहीं ऐतिहासिक संकेत है? कृपया नीचे कमेंट कर अपनी राय अवश्य साझा करें।
साभार:
प्रस्तुत लेख श्री सरदारी लाल धीमान जी द्वारा प्रायोजित है।
परिचय: सेवानिवृत्त वरिष्ठ बैंक प्रबंधक, निवेश सलाहकार तथा महासचिव – वरदान वेलफेयर सोसाइटी, पंचकूला। (यह एक परोपकारी संस्था है, जो पिछले 7 वर्षों से समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।)
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