Shrimad Bhagwat Geeta Saar: श्रीमद्भगवद्गीता सार - Part 28 of 33

 

Krishna with peacock feather teaching Gita to Arjuna on divine chariot at Kurukshetra with sunrise and Sanskrit verses


सत्य और ज्ञान की खोज (गीता दर्शन)

"गीता के अनुसार सत्य और ज्ञान की खोज: आत्मजागृति का मार्ग"
"भगवद्गीता में सत्य और ज्ञान केवल अध्ययन नहीं, आत्मबोध का आह्वान है। जानिए कैसे गीता, आर्य समाज और तपोभूमि के अनुसार जीवन में सत्य की खोज होती है।"

🪔 भूमिका

हर युग में एक प्रश्न मनुष्य को मथता रहा है –
“सत्य क्या है?”
“मुझे क्यों जानना चाहिए?”

भगवद्गीता इन प्रश्नों का न केवल उत्तर देती है, बल्कि जीवन को सत्य और ज्ञान की ओर मोड़ने की योजना भी देती है।
आर्य समाज और तपोभूमि दोनों मानते हैं कि
👉 “सत्य ही ईश्वर है, और ज्ञान ही आत्मा की ज्योति।”

📖 गीता में "सत्य" क्या है?

"सत्यम् एव जयते नानृतम्"
"सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं।"

"नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः" (गीता 2.16)
"असत्य का कोई अस्तित्व नहीं, सत्य सदा विद्यमान है।"

सत्य गीता में केवल वाणी नहीं,
बल्कि चेतना, नीयम, और आत्मा का स्वभाव है।

📘 गीता में "ज्ञान" की व्याख्या

गीता ज्ञान को केवल किताबों में नहीं बाँधती।

"ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः" (गीता 7.2)
"मैं तुम्हें वह ज्ञान दूँगा जो अनुभव से जुड़ा है।"

ज्ञान के दो रूप:

  1. सामान्य ज्ञान (Information) – शब्द, सूत्र, नियम

  2. विवेकपूर्ण ज्ञान (Wisdom) – आत्मबोध, निर्णय की शक्ति

👉 गीता दूसरे प्रकार के ज्ञान पर बल देती है –
जहाँ ज्ञान आत्मा को अविद्या से मोक्ष की ओर ले जाता है।

🔥 आर्य समाज की दृष्टि से सत्य और ज्ञान

महर्षि दयानंद ने कहा –

"सत्य को जानो, सत्य को बोलो, सत्य पर चलो। यही धर्म है।"

  • सत्य = ईश्वर की इच्छा और नियम

  • ज्ञान = वेदों, चिंतन और अनुभव से अर्जित आत्मप्रकाश

  • श्रद्धा नहीं, सत्य की खोज करो – यही आर्य विचार है।

🧘 तपोभूमि दर्शन में सत्य-ज्ञान की खोज

तपोभूमि की साधना का मूल मंत्र है –

"अविद्या से विद्या की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर।"

यहाँ ज्ञान:

  • आत्मनिरीक्षण, ध्यान और सेवा से अर्जित होता है

  • सत्य की अनुभूति “मैं कौन हूँ?” के उत्तर से शुरू होती है

  • गुरु और ग्रंथ – दोनों पथ-प्रदर्शक हैं, पर स्व-अनुभव ही अंतिम है

🧬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सत्य और ज्ञान

  • ज्ञान = न्यूरो-कॉग्निटिव विकास + अनुभव का समन्वय

  • सत्य की खोज = पूर्वाग्रहों से मुक्त सोच

  • जब व्यक्ति निष्पक्ष होकर तथ्य और अनुभव का विश्लेषण करता है, वही ज्ञान का प्रारंभ होता है।

🧭 कैसे खोजें सत्य और ज्ञान – गीता के अनुसार

उपाय विवरण
स्वाध्याय ग्रंथों का चिंतनपूर्वक अध्ययन (जैसे गीता, उपनिषद)
सत्संग विवेकी जनों के साथ संवाद
ध्यान और मौन आत्मा की आवाज़ सुनने का अभ्यास
कर्मयोग निष्काम कर्मों से अनुभव अर्जित करना
प्रश्न पूछना ज्ञान की शुरुआत प्रश्न से होती है

"तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया" (गीता 4.34)
"ज्ञान को जानने के लिए श्रद्धा, सेवा और प्रश्न पूछना आवश्यक है।"


"सत्य को जानने की इच्छा ही ज्ञान का प्रारंभ है – गीता यही सिखाती है।"
"The quest for truth is the beginning of true knowledge – says the Geeta."

❓FAQs:

Q1: क्या सत्य केवल धार्मिक विषय है?
उत्तर: नहीं। गीता में सत्य = जो अपरिवर्तनीय, अनुभवसिद्ध और सार्वभौमिक हो। यह विज्ञान और धर्म दोनों में लागू होता है।

Q2: क्या अज्ञानी व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है?
उत्तर: नहीं। गीता के अनुसार ज्ञान ही मोक्ष का द्वार खोलता है – ज्ञान बिना मुक्ति संभव नहीं।

📚 निष्कर्ष

  • गीता कहती है: सत्य = आत्मा की पहचान, ज्ञान = उस सत्य की ओर बढ़ने की दिशा।

  • आर्य समाज इसे वेद, तर्क और अनुभव द्वारा जानने पर बल देता है।

  • तपोभूमि ज्ञान को आत्मिक अनुभव का नाम देती है, न कि सिर्फ शब्दों का संग्रह।

👉 सत्य और ज्ञान की खोज जीवन का लक्ष्य है, न कि कोई वैकल्पिक प्रयास।

📚 Disclaimer:

यह लेख विभिन्न स्रोतों व आर्य समाज साहित्य के अध्ययन पर आधारित है। लेखक न तो धार्मिक गुरु है, न गीता काअंतिम ज्ञाता – उद्देश्य केवल जागरूकता और चिंतन को बढ़ावा देना है।

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