India Delays GPS Tolling: What’s Next for FASTag System?

Modern Indian highway showing GPS-based toll system, cars in motion, and satellite connectivity for travel.


GPS Tolling सैटेलाइट आधारित टोल सेवा 1 मई से नहीं होगी लागू: जानिए क्या है नया टोल सिस्टम और इसका भविष्य

Satellite-based Toll System Postponed: What’s the Road Ahead for India’s Highway Tolling?
सैटेलाइट आधारित टोल सेवा टली: भारत में टोलिंग सिस्टम का भविष्य क्या होगा?

सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली क्या है?

Satellite-based tolling system एक अत्याधुनिक तकनीक है जो सड़क उपयोगकर्ता शुल्क (टोल) को वाहन के जीपीएस डेटा के आधार पर तय करती है। इसके लिए न तो टोल बूथ की ज़रूरत होती है, न ही रुकने की। यह सिस्टम यूरोप के कई देशों जैसे जर्मनी, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया में पहले से लागू है।

भारत में यह प्रणाली अभी ट्रायल स्टेज में है और फिलहाल पूरे देश में इसे 1 मई से लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सड़क परिवहन मंत्रालय का आधिकारिक बयान

1 मई से सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम लागू होने की अटकलों पर विराम लगाते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि फिलहाल पूरे देश में इसे लागू करने का कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

मंत्रालय के अनुसार:

"इस समय कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) और FASTag आधारित बैरियर-लेस टोलिंग सिस्टम की टेस्टिंग चल रही है, ताकि टोल प्लाजा पर जाम और देरी को रोका जा सके।"

नया टोल सिस्टम GPS Tolling कैसे काम करेगा?

FASTag और ANPR आधारित बैरियर-लेस सिस्टम

नई तकनीक ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करके उनके FASTag अकाउंट से टोल कटौती करते हैं। इस प्रणाली में वाहन को रुकने की ज़रूरत नहीं होती।

सैटेलाइट आधारित टोलिंग कैसे अलग है?

  • यह वाहन के GPS डेटा पर आधारित होती है।

  • जिस दूरी तक वाहन चलता है, उसी के अनुसार शुल्क लिया जाता है।

  • यह सिस्टम हर वाहन में On-Board Unit (OBU) लगाने से कार्य करता है, जो कि सेटेलाइट के साथ संवाद करता है।

विशेषज्ञों की राय क्या कहती है?

1. डॉ. सुरेश मेहता (सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ) कहते हैं:

"सैटेलाइट आधारित टोलिंग से भारत में ट्रैफिक फ्लो बेहतर होगा और टोल पर लगने वाला समय बचेगा। लेकिन इसकी चुनौतियां भी कम नहीं हैं, जैसे GPS ट्रैकिंग का सटीक डेटा, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डेटा गोपनीयता।"

2. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार:

  • यदि यह प्रणाली ठीक से लागू की जाए, तो सरकार को 15% अधिक राजस्व प्राप्त हो सकता है।

  • टोल घोटालों में 60% तक कमी लाई जा सकती है।

  • समय और ईंधन की बचत से सालाना ₹12,000 करोड़ की बचत संभव है।

सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम लागू क्यों नहीं हो सका?

तकनीकी कारण

  • देश भर में GPS-OBU डिवाइस की उपलब्धता अभी सीमित है।

  • डेटा कलेक्शन और रीयल टाइम ट्रैकिंग की प्रणाली अभी पूर्णत: विश्वसनीय नहीं हुई है।

संरचनात्मक कारण

  • वर्तमान टोल प्लाजा पर हुए भारी निवेश के कारण तुरंत बदलाव संभव नहीं है।

  • सभी वाहनों को अनिवार्य OBU देना लॉजिस्टिकली चुनौतीपूर्ण है।

कानूनी और गोपनीयता संबंधित मुद्दे

  • नागरिकों की डेटा सुरक्षा को लेकर कई प्रश्न उठ रहे हैं।

  • डेटा चोरी और ट्रैकिंग को लेकर कानून अभी पर्याप्त स्पष्ट नहीं हैं।

क्या हैं इसके फायदे?

  1. ट्रैफिक जाम में कमी: टोल पर रुकावट खत्म होगी।

  2. पारदर्शिता में वृद्धि: टोल वसूली में भ्रष्टाचार घटेगा।

  3. ईंधन की बचत: वाहनों को टोल पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।

  4. पर्यावरण लाभ: कम स्टॉप-स्टार्ट ट्रैफिक से प्रदूषण कम होगा।

  5. राजस्व बढ़ेगा: सरकार को अधिक कर वसूली मिलेगी।

सरकार की अगली योजना क्या है?

मंत्रालय फिलहाल देश भर में FASTag प्रणाली को और बेहतर बनाने पर ध्यान दे रहा है। आने वाले समय में सैटेलाइट टोलिंग को धीरे-धीरे लागू करने की योजना है।

सरकार की प्राथमिकताएं:

  • पूरे भारत में OBU डिवाइस को अनिवार्य बनाना

  • टोलिंग प्रणाली में एकरूपता लाना

  • ड्राइवरों को ट्रैकिंग और टोलिंग की स्पष्ट जानकारी देना

वाहन चालकों के लिए सुझाव

  1. FASTag अपडेट रखें – खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें।

  2. नंबर प्लेट स्पष्ट और साफ हो – ताकि ANPR कैमरा पहचान सके।

  3. वाहन में GPS सिस्टम लगवाएं – भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखें।

  4. सरकारी पोर्टल्स से अपडेट रहें – टोलिंग से संबंधित किसी भी बदलाव को तुरंत जानने के लिए।

निष्कर्ष

भारत में सैटेलाइट आधारित टोल सेवा को लागू करना एक दूरदर्शी कदम होगा, लेकिन फिलहाल इसके लिए देश तैयार नहीं है। तकनीकी और संरचनात्मक कारणों से यह प्रणाली 1 मई से लागू नहीं की जाएगी।

हालांकि, बैरियर-लेस टोलिंग और ANPR जैसी आधुनिक प्रणालियों की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है, और यह देश के टोलिंग सिस्टम में क्रांति ला सकती है।

🔔 Disclaimer (अस्वीकरण)

यह लेख किसी विशेषज्ञ की राय नहीं है। यह जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों, सरकारी घोषणाओं, विशेषज्ञ साक्षात्कारों और वेब पर उपलब्ध सूचनाओं पर आधारित है। कृपया किसी निर्णय से पहले संबंधित प्राधिकरण या विशेषज्ञ से परामर्श करें।

आपको यह लेख भी पसंद आ सकता है 👉 India embraces a smarter highway toll collection system powered by GPS – Goodbye to toll booth queues! : अब टोल पर रुकना नहीं – भारत में जीपीएस आधारित टोल प्रणाली की शुरुआत!

WhatsApp Join our WhatsApp Group

🎁 Click Here to Win Rewards!

Try Your Luck

🖼 Convert Any Image, Anytime – Instantly & Accurately:

Convert Now

🖇 Merge Images Seamlessly – No Quality Loss:

Merge Images

📚 From Pages to Publication – Your Book, Your Way!

Make Your Book

🏠 Plan Smart, Shop Easy – Your Home Needs, All in One List:

View Checklist

📈 SIP & SWP Calculator – Plan Your Financial Goals:

Calculate Now
आपको पोस्ट पसंद आई? कृपया इसे शेयर और फॉरवर्ड करें।

Post a Comment

Previous Post Next Post