बच्चे की शुरुआती परवरिश ही उसकी भावी पर्सनेलिटी की नींव रखती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चे अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, और उनके साथ किया गया व्यवहार उनके मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर गहरा प्रभाव डालता है।
कैसा होना चाहिए व्यवहार?
मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे (Jean Piaget) और एरिक एरिकसन (Erik Erikson) के सिद्धांतों के अनुसार, छोटे बच्चे अपने शुरुआती वर्षों में दुनिया को समझने की प्रक्रिया में होते हैं। इस दौरान उन्हें सुरक्षित, प्रेमपूर्ण और सहयोगी वातावरण की जरूरत होती है।
- प्यार और धैर्य से पेश आएं – डॉ. जॉन गॉटमैन (John Gottman) के अनुसार, बच्चों को प्यार और सहानुभूति देने से उनमें आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता विकसित होती है।
 - मित्रवत व्यवहार करें – एल्फी कोहन (Alfie Kohn) का मानना है कि जब माता-पिता बच्चों के साथ दोस्ताना रवैया अपनाते हैं, तो वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं और अधिक खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं।
 - सीखने का मौका दें, न कि सजा दें – बी. एफ. स्किनर (B.F. Skinner) के 'पॉजिटिव रिइनफोर्समेंट' के सिद्धांत के अनुसार, अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित करने से बच्चा अधिक सकारात्मक और आत्मनिर्भर बनता है।
 
क्या डांट-फटकार का असर नकारात्मक होता है?
मनोवैज्ञानिकों के शोध बताते हैं कि ज्यादा डांटना या फटकारना बच्चे के दिमाग में डर और असुरक्षा को बढ़ा सकता है।
- डॉ. डैनियल सिगेल (Daniel Siegel) ने अपनी किताब The Whole-Brain Child में बताया है कि बार-बार डांटने से बच्चों के दिमाग में ‘फाइट या फ्लाइट’ प्रतिक्रिया विकसित हो सकती है, जिससे वे या तो जिद्दी बन सकते हैं या आत्मविश्वास खो सकते हैं।
 - नॉमी एल्डोर्ट (Naomi Aldort) का कहना है कि प्यार और मार्गदर्शन से बच्चे अपने व्यवहार को बेहतर तरीके से समझते हैं, बजाय जबरदस्ती उन पर अनुशासन थोपने के।
 
क्या गलत व्यवहार बच्चे के भविष्य पर असर डाल सकता है?
हाँ, अगर माता-पिता बार-बार नकारात्मक व्यवहार अपनाते हैं, तो बच्चे के संवेदनशील मन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
- बार-बार फटकारने से आत्म-सम्मान में कमी आ सकती है।
 - गुस्से से बात करने से बच्चा खुद भी आक्रामक स्वभाव का हो सकता है।
 - सख्त अनुशासन से बच्चे में निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
 
माता-पिता को क्या नहीं करना चाहिए?
- तुलना न करें – "देखो, तुम्हारा दोस्त कितना अच्छा करता है!" ऐसा कहना बच्चे को हीन भावना से भर सकता है।
 - बेवजह डांटना या मारपीट न करें – शारीरिक दंड बच्चे के आत्मविश्वास को कमजोर करता है।
 - बच्चे की भावनाओं को अनदेखा न करें – अगर बच्चा परेशान है, तो उसे डांटने की बजाय उसकी भावनाओं को समझें और उसे सांत्वना दें।
 - बहुत ज्यादा रोक-टोक न करें – कुछ हद तक बच्चों को अपनी गलतियों से सीखने का अवसर देना चाहिए।
 
सकारात्मक पालन-पोषण के लिए सुझाव
✔ बच्चे को सुनें और उसकी भावनाओं की कद्र करें।
✔ अच्छे व्यवहार के लिए उसकी तारीफ करें।
✔ सजा देने की बजाय प्यार से सही रास्ता दिखाएं।
✔ उसके आत्मनिर्भर बनने में मदद करें।
निष्कर्ष
बच्चे के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, यह उसके भविष्य की नींव रखता है। प्यार, मित्रता और धैर्य के साथ किया गया पालन-पोषण उसे आत्मविश्वासी, खुशहाल और दयालु इंसान बनने में मदद करता है।
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