Section 194T क्या है और यह कब लागू हुआ?
सरकार ने हाल ही में Section 194T को लागू किया है, जो Partnership Firms और Partners के बीच होने वाले वित्तीय लेन-देन पर 10% TDS (Tax Deducted at Source) लगाने का प्रावधान करता है। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और टैक्स चोरी को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
पहले तक पार्टनर को फर्म से मिलने वाले interest, salary, bonus या commission पर टैक्स की ज़िम्मेदारी आमतौर पर पार्टनर की व्यक्तिगत रिटर्न में होती थी। लेकिन अब इस पर फर्म को 10% TDS काटना अनिवार्य होगा।
क्यों लागू किया गया Section 194T?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, कई मामलों में फर्मों द्वारा पार्टनर के नाम पर अधिक भुगतान दिखाया जाता था ताकि टैक्स देनदारी कम हो सके।
इसलिए अब सरकार ने यह नियम लाया है ताकि—
- हर भुगतान का रिकॉर्ड बने।
- टैक्स डिफॉल्ट कम हों।
- रियल इनकम रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो।
Expert Opinion:
सीए अनुज गुप्ता के अनुसार, “Section 194T on partnership firm payment to partners से सरकार को फर्मों की वास्तविक लाभ स्थिति को समझने में मदद मिलेगी और टैक्स बेस बढ़ेगा।”
Section 194T on Partnership Firm Payment to Partners – क्या-क्या शामिल है
यह सेक्शन निम्न प्रकार के भुगतानों पर लागू होता है:
- पार्टनर को दी गई Salary या Remuneration
- Interest on Capital Contribution
- Bonus या Commission
- अन्य कोई भुगतान जो फर्म से पार्टनर को सीधे मिलता है
TDS Rate: 10%
Threshold Limit: ₹20,000 (वार्षिक) से अधिक पर TDS लागू
Section 194T on Partnership Firm Payment to Partners – किन पर नहीं लगेगा
निम्न स्थितियों में यह सेक्शन लागू नहीं होगा:
- जब पार्टनर एक Non-Resident हो।
- जब भुगतान Capital Withdrawal के रूप में हो।
- जब भुगतान Loss Adjustment के तहत किया गया हो।
Compliance के लिए Partnership Firm को क्या करना होगा
फर्मों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि—
- पार्टनर का PAN और Bank Details अपडेट हों।
- भुगतान के समय TDS @10% काटा जाए।
- हर तिमाही में TDS Return (Form 26Q) भरी जाए।
- पार्टनर को TDS Certificate (Form 16A) जारी किया जाए।
Section 194T पर टैक्स प्लानिंग का सही तरीका
कई फर्म अब सोच रही हैं कि इस नये टैक्स नियम के बीच अपने कैश फ्लो और टैक्स देनदारी को कैसे मैनेज करें। इसका उत्तर सीधा है—
सही Tax Planning और Documentation।
- Capital और Revenue Payments को स्पष्ट रूप से अलग रखें।
- सभी भुगतानों के लिए written partnership deed का पालन करें।
- जरूरत पड़े तो किसी Chartered Accountant से सलाह लें।
इस तरह आप कानूनी रूप से सुरक्षित रहेंगे और टैक्स बचत भी संभव होगी।
Section 194T on Partnership Firm Payment to Partners – प्रभाव और निष्कर्ष
यह नया प्रावधान छोटे और मझोले व्यापारिक फर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। शुरू में यह जटिल लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यह फर्मों को अधिक पारदर्शी और कर-अनुपालन (compliant) बनाता है।
यदि आपकी फर्म पार्टनर्स को नियमित भुगतान करती है, तो तुरंत TDS कटौती की प्रक्रिया शुरू करें और हर भुगतान का स्पष्ट रिकॉर्ड रखें। इससे न केवल आप टैक्स विभाग से सुरक्षित रहेंगे बल्कि पार्टनर के रिटर्न में भी सही क्रेडिट मिलेगा।
निष्कर्ष और आगे क्या करें
Section 194T को समझना और लागू करना आपकी फर्म के लिए कानूनी ज़रूरत के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन का प्रतीक है।
यदि अभी तक आपने इस पर कदम नहीं उठाया है, तो अपने CA से संपर्क करें और अपने फर्म अकाउंटिंग सिस्टम को अपडेट करें।
Disclaimer:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। कर-संबंधित निर्णय लेने से पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार से परामर्श करें।
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