GPS कैसे काम करता है? – सरल भाषा में पूरी जानकारी
आज हम हर दिन Google Maps, Food Delivery Apps और Ride Booking Services का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह सब आपकी लोकेशन इतनी सटीकता से कैसे जान लेते हैं? इसका जवाब है – GPS (Global Positioning System)। आइए जानते हैं कि GPS कैसे काम करता है, और यह हमारी ज़िंदगी को इतना आसान कैसे बना देता है।
GPS क्या है और इसका इतिहास
GPS, यानी Global Positioning System, एक उपग्रह आधारित नेविगेशन सिस्टम है, जिसे सबसे पहले अमेरिकी रक्षा विभाग ने 1970 के दशक में विकसित किया था।
इस सिस्टम का उद्देश्य था – सैन्य वाहनों और विमानों को सटीक लोकेशन देना।
आज यह पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध है और नागरिक उपयोग में भी पूरी तरह मुफ़्त है।
मुख्य तथ्य:
- इसमें 24 उपग्रह होते हैं जो धरती के चारों ओर घूमते हैं।
- हर उपग्रह अपनी स्थिति और समय की जानकारी लगातार धरती पर भेजता है।
- यह डेटा GPS रिसीवर (जैसे मोबाइल फोन) तक पहुंचता है।
GPS कैसे काम करता है?
GPS के काम करने का सिद्धांत Trilateration Method पर आधारित है।
सरल शब्दों में, यह तीन या उससे अधिक उपग्रहों से सिग्नल लेकर आपकी स्थिति का निर्धारण करता है।
1. उपग्रह सिग्नल भेजते हैं
प्रत्येक GPS उपग्रह अपने स्थान और सिग्नल भेजने का समय लगातार प्रसारित करता है।
2. रिसीवर सिग्नल प्राप्त करता है
आपका मोबाइल या GPS डिवाइस इन सिग्नलों को पकड़ता है।
3. दूरी का हिसाब लगाया जाता है
डिवाइस यह गणना करता है कि सिग्नल को आने में कितना समय लगा, जिससे उपग्रह से दूरी पता चलती है।
4. लोकेशन निर्धारित होती है
जब तीन या अधिक उपग्रहों की दूरी ज्ञात होती है, तो डिवाइस आपकी सटीक लोकेशन (Latitude, Longitude, Altitude) निकाल लेता है।
GPS के उपयोग और लाभ
GPS के प्रयोग आज लगभग हर क्षेत्र में हो रहे हैं:
- नेविगेशन में: वाहन और जहाजों के मार्ग तय करने में
- कृषि में: सटीक खेती और भूमि सर्वेक्षण में
- आपातकालीन सेवाओं में: फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस को सटीक लोकेशन भेजने में
- स्मार्टफोन ऐप्स में: राइड, फूड और फिटनेस ट्रैकिंग ऐप्स में
विशेषज्ञ की राय
डॉ. अनुराग भटनागर, वरिष्ठ उपग्रह संचार विशेषज्ञ के अनुसार:
“GPS सिर्फ लोकेशन ही नहीं बताता, बल्कि समय सिंक्रोनाइजेशन और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं में भी अत्यंत उपयोगी है। भविष्य में इसकी सटीकता और बढ़ने की संभावना है।”
GPS की सीमाएं
हर तकनीक की तरह GPS की भी कुछ सीमाएं हैं:
- घने जंगलों या ऊंची इमारतों के बीच सिग्नल कमजोर हो जाते हैं
- इनडोर लोकेशन ट्रैकिंग सटीक नहीं होती
- बिजली या बैटरी खत्म होने पर रिसीवर काम नहीं करता
भविष्य में GPS तकनीक का विकास
अब GPS का नया संस्करण GPS III विकसित हो चुका है, जो और तेज़, अधिक सुरक्षित और 3D सटीकता के साथ लोकेशन बताता है।
भारत ने भी अपना खुद का सिस्टम NavIC विकसित किया है, जो GPS का भारतीय विकल्प है।
निष्कर्ष और सुझाव
GPS ने हमारी दुनिया को कनेक्टेड, सुरक्षित और आसान बना दिया है।
अगली बार जब आप Google Maps खोलें, तो याद रखें – यह सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि अंतरिक्ष से जुड़ी एक अद्भुत तकनीक है।
अगला कदम:
अगर आप GPS टेक्नोलॉजी के व्यावहारिक उपयोग या NavIC जैसे भारतीय विकल्पों पर अधिक जानना चाहते हैं, तो पढ़ें हमारा अगला ब्लॉग –
👉 भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम – NavIC Explained in Hindi
Disclaimer:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी तकनीकी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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