संक्रांति का महत्व: भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान
संक्रांति का अर्थ
संक्रांति शब्द संस्कृत के “सं” और “क्रांति” से मिलकर बना है। इसका अर्थ है – सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। जब भी सूर्य अपनी स्थिति बदलता है, उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। इसी कारण वर्ष भर में 12 संक्रांतियां आती हैं।
वर्ष में कितनी बार आती है संक्रांति
भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य हर माह राशि परिवर्तन करता है। इस प्रकार:
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साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं।
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प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
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इनमें कुछ क्षेत्रीय त्यौहार और मेलों का आयोजन भी विशेष रूप से किया जाता है।
कौन सी संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण है और क्यों
सभी संक्रांतियों का महत्व है, लेकिन मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। कारण:
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इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।
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यह दिन उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है, यानी सूर्य उत्तर की ओर गमन करता है।
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आयुर्वेद और ज्योतिष के अनुसार, इस समय मौसम में बड़ा बदलाव होता है और स्वास्थ्य के लिए यह समय लाभकारी माना जाता है।
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कृषि जीवन से जुड़े लोग इसे फसल कटाई और नए जीवन चक्र की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।
हिन्दू संस्कृति में संक्रांति का महत्व
हिन्दू संस्कृति में संक्रांति को केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि जीवनशैली और आध्यात्मिकता से जोड़ा गया है।
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संक्रांति पर दान और स्नान का विशेष महत्व है।
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गंगा स्नान, तिल-गुड़ का सेवन और गरीबों को दान करना पुण्यदायी माना गया है।
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विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे कि – पोंगल (तमिलनाडु), लोहड़ी (पंजाब), उत्तरायण (गुजरात), भोगी (आंध्र प्रदेश)।
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धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि उत्तरायण काल में मृत्यु होने पर आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति आसान होती है।
विशेषज्ञों की राय
ज्योतिषाचार्य और सांस्कृतिक विशेषज्ञों के अनुसार, Makar Sankranti Significance in Hindu Culture केवल पर्व नहीं बल्कि ऊर्जा और सकारात्मकता का संगम है। सूर्य की गति जीवन को प्रभावित करती है, और यही कारण है कि संक्रांति को आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टि से विशेष माना गया है।
संक्रांति के मुख्य बिंदु
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साल में 12 बार आती है
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सबसे महत्वपूर्ण मकर संक्रांति है
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सूर्य के उत्तरायण होने का दिन
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धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से शुभ
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स्नान, दान और तिल-गुड़ के सेवन का महत्व
निष्कर्ष
संक्रांति केवल खगोलीय घटना नहीं बल्कि हिन्दू संस्कृति में ऊर्जा, धर्म और जीवन संतुलन का प्रतीक है। मकर संक्रांति का महत्व इसे विशेष बनाता है, क्योंकि यह सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत है, जो जीवन में आशा और नई ऊर्जा का संदेश देता है।
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