📅 गृहस्थों के लिए: 6 जून 2025
📅 वैष्णवों के लिए: 7 जून 2025
एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। वर्ष भर की सभी 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का स्थान सर्वोपरि है। यह एकादशी भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन जल तक का सेवन नहीं किया जाता, इसलिए इसे "निर्जला" कहा जाता है।
2025 में यह व्रत गृहस्थों के लिए 6 जून को और वैष्णव संप्रदाय के लिए 7 जून को है।
📜 निर्जला एकादशी के व्रत के नियम (Nirjala Ekadashi Vrat Rules)
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व्रत का संकल्प: एक दिन पूर्व दशमी तिथि को सात्विक भोजन करके व्रत का संकल्प लें।
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पूर्ण उपवास: इस दिन न अन्न, न फल, न जल – कोई भी खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए। केवल गंभीर रोगी या गर्भवती स्त्रियाँ फलाहार कर सकती हैं।
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जल का त्याग: इस एकादशी में जल भी नहीं पीया जाता। केवल वही व्यक्ति इस दिन जल का सेवन कर सकता है, जो स्वयं व्रत का पालन करता है।
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पूजा विधि: प्रातः स्नान के बाद श्री विष्णु जी का पूजन करें, तुलसी दल अर्पित करें, धूप-दीप से आरती करें। व्रत कथा और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
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रात्रि जागरण: एकादशी की रात को जागरण करें और भक्ति भाव में समय व्यतीत करें।
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द्वादशी को पारण: अगले दिन सूर्योदय के पश्चात द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें। किसी ब्राह्मण या निर्धन को अन्न-वस्त्र दान दें।
🌟 व्रत के लाभ (Spiritual & Health Benefits)
🔹 अत्यधिक पुण्यफल: यह व्रत साल भर की सभी एकादशियों के बराबर फल प्रदान करता है।
🔹 पापों का क्षय: पूर्व जन्मों के पाप भी समाप्त हो जाते हैं।
🔹 मोक्ष की प्राप्ति: श्री विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
🔹 आध्यात्मिक शुद्धि: मन, वचन और कर्म की शुद्धि होती है।
🔹 शरीर का शुद्धिकरण: व्रत से शरीर को विश्राम और विषहरण (detox) मिलता है।
🧘♀️ विशेष ध्यान योग्य बातें
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निर्जला व्रत कठिन होता है, अतः यह केवल स्वस्थ व्यक्ति को ही करना चाहिए।
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वृद्ध, गर्भवती स्त्रियाँ या बीमार व्यक्ति फलाहार या जल लेकर भी आंशिक व्रत कर सकते हैं।
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इस दिन क्रोध, द्वेष, तामसिक आहार, अपवित्र विचारों से बचना चाहिए।
🌺 निष्कर्ष
निर्जला एकादशी व्रत आत्मशुद्धि, तपस्या और श्री विष्णु की कृपा पाने का महान अवसर है। यह एक दिन का कठोर व्रत संपूर्ण वर्ष की सभी एकादशियों के व्रत के समान फल देता है। जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करता है, उसे न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि परम शांति और मोक्ष भी प्राप्त होता है।
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